भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री से हमारे खेल और खेलने की सामग्रियों में कल्पना से भी अधिक अंतर आ गया है।
भोलानाथ के समय में परिवार से लेकर दूर पड़ोस तक आत्मीय संबंध थे, जिससे बच्चों को किसी भी स्थान पर अपनी उम्र के बच्चों के साथ एवं उनके बीच में खेलने की स्वतंत्रता/स्वच्छंदता थी। बाहरी घटनाओं जैसे अपहरण, हिंसा आदि का भय नहीं था। लेकिन वर्तमान दौर में कई गंभीर हिंसा एवं अपहरण की घटनाओं ने माँ-बाप के मन में डर पैदा कर दिया है| उदाहरण के तौर पर आप दिल्ली में हुए निठारी काण्ड को ले लें| इस घटना के पश्चात माँ-बाप के मन में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी फ़िक्र है| जबकि पाठ में भोलानाथ के खेल कूद की परिस्थितियाँ अलग हैं| वह गली-मोहल्ले के किसी भी स्थान पर, नंग-धडंग, हुल्लड़बाजी और शरारतें करता है| वह परंपरागत खिलौनों से खेलता है, मिट्टी में खुले वातावरण में खेलता है| उसे खुले माहौल में खेलना और बच्चों के समूह के बीच में वक्त बिताना पसंद है| जबकि वर्तमान दौर के बच्चों की खेल की सामग्रियाँ अलग हैं| उनमे काफी बदलाव आ गया है| वे प्लास्टिक, इलेक्ट्रोनिक खिलौनों से खेलते हैं| उन्होंने परंपरागत खेलों को खेलना बंद कर दिया है| वे स्वतंत्र रूप से घर से बाहर जाकर खेलना पसंद नहीं करते| उनके माता-पिता भी हिंसा, अपहरण एवं अन्य डरों की वजह से उन्हें घर के बाहर जाकर खेलने की अनुमति नहीं देते| वर्तमान दौर में खेलने का समय एवं स्थान भी निश्चित होते हैं| जबकि भोलानाथ के साथ ऐसा नहीं था वह गली-नुक्कड़ के किसी भी स्थान पर अपने दोस्तों के साथ स्वतंत्रतापूर्वक खेलता था|